आमलकी एकादशी 2025

आमलकी एकादशी 2025: व्रत, नियम, महत्व, विधि और कथा

आमलकी एकादशी का महत्व

आमलकी एकादशी का व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुराणों के अनुसार, आमलकी (आंवला) भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसे अमृततुल्य माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।


व्रत के नियम

  1. शुद्ध आचरण: व्रतधारी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और सत्य वचन बोलने चाहिए।
  2. सात्विक भोजन: व्रत के दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज और मांस-मदिरा से परहेज करना चाहिए।
  3. स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  4. रात्रि जागरण: इस दिन भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  5. दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और आंवला दान करना विशेष फलदायी होता है।

व्रत विधि

  1. प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां आंवले के वृक्ष या आंवला फल की स्थापना करें।
  3. भगवान विष्णु का आह्वान करें और दीप प्रज्वलित करें।
  4. तुलसी दल और आंवले के साथ भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  5. आमलकी वृक्ष की पूजा करें और उसके चारों ओर परिक्रमा करें।
  6. एकादशी कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती करें।
  7. रात्रि जागरण करें और हरिनाम संकीर्तन करें।
  8. द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।

आमलकी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में वैदिश नगर में राजा चित्ररथ का शासन था। वे विष्णु भक्त थे और उनकी प्रजा भी धर्मपरायण थी। एक बार आमलकी एकादशी के अवसर पर राजा सहित संपूर्ण प्रजा ने उपवास रखा और भगवान विष्णु की आराधना की।

उसी वन में एक भील भी निवास करता था, जो अनजाने में ही मंदिर में आया और कीर्तन सुनते-सुनते वहीं सो गया। अगले जन्म में वह राजा विदूरथ के रूप में जन्मा और समस्त भोगों का उपभोग करते हुए अंत में मोक्ष को प्राप्त हुआ।

इस कथा से यह सिद्ध होता है कि जो भी श्रद्धा और भक्ति से आमलकी एकादशी का व्रत करता है, उसे पापों से मुक्ति और उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।


आमलकी एकादशी व्रत का फल

✅ मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
✅ पापों का नाश होता है।
✅ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
✅ स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


निष्कर्ष

आमलकी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक उपवास करने से व्यक्ति को पुण्य फल प्राप्त होता है। आंवले के वृक्ष की पूजा करने से आरोग्य, समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।

इस व्रत का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक शुद्धि होती है, बल्कि मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। आमलकी, यानी आंवला, एक दिव्य औषधीय वृक्ष माना जाता है, जिसे भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने, उसके नीचे भजन-कीर्तन करने और दान-पुण्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

आमलकी एकादशी के पालन के दौरान सात्विक भोजन, व्रत, रात्रि जागरण, कीर्तन और दान का विशेष महत्व होता है। यह व्रत सभी के लिए लाभकारी है, चाहे वे गृहस्थ हो या सन्यासी। इसके माध्यम से व्यक्ति न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्राप्त करता है, बल्कि आत्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होता है।

संक्षेप में, आमलकी एकादशी का व्रत जीवन में धर्म, भक्ति और शुद्धि को बढ़ावा देता है। जो भी श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस व्रत को करता है, वह ईश्वरीय कृपा प्राप्त कर पापों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

🔱 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” 🙏


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