Nageshwar Jyotirling- 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

Nageshwar Jyotirling :नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है और शिव भक्तों के लिए विशेष स्थान है। नागेश्वर का शाब्दिक अर्थ है “नागों का स्वामी,” और यह शिवजी की नागों के साथ जुड़ी शक्ति को दर्शाता है। यहां शिवजी को नागराज वासुकी के साथ प्रतिष्ठित माना जाता है, जो उन्हें विष से मुक्ति और संकटों से बचाने वाला देवता बनाता है।

Nageshwar Jyotirling : नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ एक पुरानी और प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। मान्यता के अनुसार, एक बार “दारुका” नाम का राक्षस अपनी दुष्टताओं से पूरी धरती पर आतंक फैला रहा था। उसने “सुप्रिया” नाम के एक शिव भक्त को भी बंदी बना लिया था, जो शिवजी का परम भक्त था। सुप्रिया ने कठिनाईयों में भी भगवान शिव की उपासना जारी रखी। शिवजी उसकी प्रार्थनाओं से प्रसन्न हुए और प्रकट होकर दारुका का वध किया। इस घटना के बाद शिवजी ने उस स्थान पर स्वयंभू लिंग के रूप में प्रकट होने का संकल्प लिया। उसी स्थान को अब नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।

धार्मिक महत्व:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के विष, डर, और संकट से मुक्ति मिलती है। यहाँ शिवजी को विशेष रूप से उनके नीलकंठ रूप में पूजा जाता है, जिसने समुद्र मंथन के समय समस्त विष का पान किया था। भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों का अंत हो जाता है और मनुष्य को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

Nageshwar Jyotirling

Nageshwar Jyotirling: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान और मंदिर की विशेषताएं:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका के पास स्थित है। यह मंदिर अद्वितीय है क्योंकि इसमें भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है, जो 80 फीट ऊंची है और मंदिर के मुख्य आकर्षण का केंद्र है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिक कला का मिश्रण है, और यहाँ पर शिवलिंग की विशेष पूजा होती है। ज्योतिर्लिंग का आकार अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग है, जो इसे अनोखा बनाता है।

पौराणिक कथा और मान्यता:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा यह है कि एक बार दारुका नामक राक्षस ने अपने दुष्ट कार्यों से पृथ्वी पर आतंक फैला रखा था। वह अपनी पत्नी दारुकी के साथ जंगल में एक शक्तिशाली शक्ति के बल पर अपने अधीन बहुत से निर्दोष लोगों को बंदी बनाता था।

इसमें एक सुप्रिया नामक शिव भक्त भी था, जिसने बंदी रहते हुए भी भगवान शिव की आराधना करना बंद नहीं किया। उसकी प्रार्थनाओं को सुनकर भगवान शिव प्रकट हुए और राक्षस दारुका का संहार किया। इस घटना के बाद, शिवजी ने वहां स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर भक्तों की रक्षा करने का आश्वासन दिया। इस ज्योतिर्लिंग को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना गया, जो बुराई और अधर्म के खिलाफ शिवजी की विजय का प्रतीक है।

Nageshwar Jyotirling: नागेश्वर मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएं:

  1. विशाल शिव प्रतिमा: नागेश्वर मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता यहां स्थित 80 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा है, जो भक्तों के लिए एक विशाल आस्था का केंद्र है। यह प्रतिमा भगवान शिव के शांत और ध्यानस्थ स्वरूप को दर्शाती है।
  2. मंदिर परिसर: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के चारों ओर हरियाली और शांति का वातावरण है, जो इसे एक आदर्श आध्यात्मिक स्थल बनाता है। मंदिर के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जिसे देखने और स्पर्श करने के लिए भक्त लंबी कतारों में खड़े रहते हैं।
  3. शिवलिंग की विशिष्टता: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की खास बात यह है कि यह स्वयंभू (स्वतः प्रकट) शिवलिंग है, जिसे भगवान शिव ने खुद स्थापित किया था। यह लिंग आकार में अन्य ज्योतिर्लिंगों की तुलना में अलग है, और इसे विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है।

धार्मिक अनुष्ठान और पूजन विधि:

  1. अभिषेक: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पर प्रतिदिन विशेष अभिषेक किया जाता है। भक्त दूध, दही, शहद, और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक किया जाता है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है।
  2. व्रत और उपवास: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष पूजा के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, खासकर सोमवार के दिन। महाशिवरात्रि के दिन यहां पर विशेष रूप से रात्रि जागरण और शिव की आराधना की जाती है।

Nageshwar Jyotirling: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की भौगोलिक स्थिति:

  • स्थान: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका के पास स्थित है, जिसे द्वारकाधीश भगवान कृष्ण की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
  • दूरी: यह मंदिर द्वारका शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है।

मंदिर तक पहुँचने के साधन:

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जामनगर है, जो नागेश्वर से 137 किलोमीटर दूर है।
  • रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन द्वारका है, जो नागेश्वर से 17 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • सड़क मार्ग: द्वारका से नागेश्वर तक टैक्सी या बस के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

महत्त्वपूर्ण त्यौहार:

  1. महाशिवरात्रि: यह पर्व नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हज़ारों भक्त मंदिर में भगवान शिव की पूजा के लिए आते हैं।
  2. श्रावण मास: श्रावण मास के दौरान हर सोमवार को विशेष पूजा और अभिषेक किए जाते हैं।

Nageshwar Jyotirling: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्ता:

यह ज्योतिर्लिंग बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे संकटों से छुटकारा दिलाने वाला स्थान माना जाता है, और जो व्यक्ति सच्चे हृदय से भगवान शिव की उपासना करता है, उसे यहां आकर मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इस मंदिर की यात्रा करने वाले भक्तों को जीवन में आने वाली कठिनाइयों से उबरने में सहायता मिलती है और वे शिवजी की कृपा प्राप्त करते हैं।

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